Meaning of rashke kamar in hindi
दोस्तों आज हम आपको रश्क ए कमर गाने का मतलब बताने जा रहे है। रश्क का मतलब जलन करना या ईर्ष्या करना और कमर का मतलब उर्दू में चाँद होता है। इस तरह रश्क ए कमर का मतलब ऐसी खूबसूरत औरत जिसकी खूबसूरती से चाँद भी जलन करता है ईर्ष्या करता है।
- बर्क का मतलब बिज़ली होता है। बर्क सी गिर गई यानि बिज़ली सी गिर गई।
मेरी रश्के-कमर , तूने पहली नजर, जब नजर से मिलायी मज़ा आ गया
बर्क़ सी गिर गयी , काम ही कर गयी, आग ऐसी लगायी मज़ा आ गया ||
बर्क़ सी गिर गयी , काम ही कर गयी, आग ऐसी लगायी मज़ा आ गया ||
रश्क-ए-क़मर (रस्के-कमर) = इतने खूबसूरत की चाँद भी जलता हो जिसकी खूबसूरती से
बर्क़ = बिजली गिरना
जाम में घोलकर हुस्न कि मस्तियाँ, चांदनी मुस्कुरायी मज़ा आ गया |
चाँद के साये में ऐ मेरे साक़िया, तूने ऐसी पिलायी मज़ा आ गया ||
नशा शीशे में अगड़ाई लेने लगा, बज्मे-रिंदा में सागर खनकने लगा |
मैकदे पे बरसने लगी मस्तिया, जब घटा गिर के छायी मज़ा आ गया ||
बे-हिज़ाबाना वो सामने आ गए, और जवानी जवानी से टकरा गयी ||
आँख उनकी लड़ी यूँ मेरी आँख से , देखकर ये लड़ाई मज़ा आ गया
बे-हिज़ाबाना = बिना नक़ाब या परदे के
आँख में थी हया(शर्म)हर मुलाकात पर , सुर्ख(लाल) आरिज़(गाल)हुए वस्ल(मिलने) की बात पर |
उसने शरमा के मेरे सवालात(सवालो) पे, ऐसे गर्दन झुकाई मज़ा आ गया ||
आरिज़ = कपोल, वस्ल = मिलने
शैख़ साहिब का ईमान बिक ही गया, देखकर हुस्न-ऐ-साक़ी पिघल ही गया |
आज से पहले ये कितने मगरूर(घमंडी)थे, लूट गयी पारसाई मज़ा आ गया ||
पारसाई = पवित्रता, छूकर किसी को सोना बना देने का वरदान ||
ऐ “फ़ना” शुक्र है आज वादे फ़ना, उस ने रख ली मेरे प्यार की आबरू |
अपने हाथों से उसने मेरी कब्र पर, चादर-ऐ-गुल ल चढ़ाई मज़ा आ गया ||
चादर-ऐ-गुल = फूलों की चादर या गुलदस्ता
जाम में घोलकर हुस्न कि मस्तियाँ, चांदनी मुस्कुरायी मज़ा आ गया |
चाँद के साये में ऐ मेरे साक़िया, तूने ऐसी पिलायी मज़ा आ गया ||
नशा शीशे में अगड़ाई लेने लगा, बज्मे-रिंदा में सागर खनकने लगा |
मैकदे पे बरसने लगी मस्तिया, जब घटा गिर के छायी मज़ा आ गया ||
बे-हिज़ाबाना वो सामने आ गए, और जवानी जवानी से टकरा गयी ||
आँख उनकी लड़ी यूँ मेरी आँख से , देखकर ये लड़ाई मज़ा आ गया
बे-हिज़ाबाना = बिना नक़ाब या परदे के
आँख में थी हया(शर्म)हर मुलाकात पर , सुर्ख(लाल) आरिज़(गाल)हुए वस्ल(मिलने) की बात पर |
उसने शरमा के मेरे सवालात(सवालो) पे, ऐसे गर्दन झुकाई मज़ा आ गया ||
आरिज़ = कपोल, वस्ल = मिलने
शैख़ साहिब का ईमान बिक ही गया, देखकर हुस्न-ऐ-साक़ी पिघल ही गया |
आज से पहले ये कितने मगरूर(घमंडी)थे, लूट गयी पारसाई मज़ा आ गया ||
पारसाई = पवित्रता, छूकर किसी को सोना बना देने का वरदान ||
ऐ “फ़ना” शुक्र है आज वादे फ़ना, उस ने रख ली मेरे प्यार की आबरू |
अपने हाथों से उसने मेरी कब्र पर, चादर-ऐ-गुल ल चढ़ाई मज़ा आ गया ||
चादर-ऐ-गुल = फूलों की चादर या गुलदस्ता